मंगलवार, 9 मई 2017

मेरी कहानी

मैं सागर मेश्राम पुत्र श्री दिलीप मेश्राम उम्र 28 पता :- सूरज नगर भदभदा रोड भोपाल म. प्र. !
मेरे बेटे प्रियांशु का जन्म 22/08/2015 को जीवन ज्योति नर्सिंग होम कोटरा भोपाल में हुआ था !
इसको जन्म से ही हृदय की गंभीर बीमारी थी जिसका मुझे 4 माह की उम्र तक कोई पता भी नहीं था ! जब प्रियांशु 09 दिसम्बर 2015 को पहली बार बीमार हुआ तब मुझे पता चला की मेरा बेटा इतनी बड़ी बीमारी से लड़ रहा है ! मैंने भोपाल के सभी बड़े डाक्टरों से मिला , भोपाल में इलाज संभव नहीं था ! सुरु से ही डॉ राकेश मिश्रा जी मिरेकल्स चिल्डर्न्स हॉस्पिटल M P नगर उन्होंने मेरी पूरी मदद की उन्होंने मुझे दिल्ली जाने की सलाह दी !
मैं जब दिल्ली के AIIMS एम्स हॉस्पिटल गया तो वहां मेरे बेटे को भर्ती भी नहीं किया गया ! कहा की पहले रजिस्ट्रेशन करवाओ , इसके लिए रात में 8 बजे से लाइन लगती थी रात भर लाइन में लगना पड़ता है तब जाकर सुबह 9 बजे काउंटर खुलता है ! और उसमे भी सिर्फ 40 से 50 रजिस्ट्रेशन होता था ! मैंने हर संभव प्रयास कर अपने बेटे का रजिस्ट्रेशन करवाया और उसकी सारी जाचे करवाने लगा ! मैं शुरू से ही सभी डॉ के पास अकेले ही जाता था सारी जाँचे देखने के बाद एम्स में डॉ रामाकृष्नन जी ने मुझसे कहा की तुम बहुत लेट हो गए हो इसका ऑपरेशन 8 दिन के अंदर होना था ! अब कुछ नहीं हो सकता तुम्हारे बेटे के पास बहुत काम टाइम है !
मैंने हिम्मत नहीं हारी और वह से चला गया ! मैंने सारी बात डॉ राकेश मिश्रा जी को बताई उन्होंने मुझे फोर्टिस स्कॉर्ट्स नई दिल्ली में जाके डॉ स्मिता मिश्रा जी से मिलने को कहा और कहा की वो तुम्हारी पूरी मदद करेगीं , और वाकई उन्होंने मेरी पूरी मदद भी की सभी जाँचे मुफ्त में करवाई और डॉ K S अय्यर जी से मिलवाया ! तब डॉ सर ने मुझे बताया की हम तुम्हारे बेटे को पूरी तरह से ठीक तो नहीं कर सकते क्योंकि ये संभव नहीं है, लेकिन हाँ इसका जीवन कुछ सालो के लिए आगे बड़ा सकते है और उसके लिए भी तुम्हे 3 ऑपरेशन करवाने पड़ेंगे !  और उसका खर्चा भी बहुत आएगा , उन्होंने मुझे समझाया भी की तुम ये ऑपरेशन मत करवाओ क्योंकि इसका खर्चा बहुत आएगा तुम मैनेज नहीं कर पाओगे क्योंकि तुम वैसे ही गरीब हो ! मैं फैसला कर चूका था की मुझे कैसे भी अपने बेटे को बचाना है मैं ऑपरेशन को तैयार हो गया , उन्होंने मुझे बहार बैठने को कहा और सारी रिपोर्ट देखने नीचे चले गए मैंने भी नीचे पता करने गया तो मैंने जाना की वह पर 1 दिन का जनरल बेड  का किराया ही 40 से 45 हजार रूपए है ! मैंने फिर भी हिम्मत करी और सर् का इंतजार किया कुछ टाइम बाद मुझे बुलाया गया और सर ने कहा की इसके ऑपरेशन में लगभग 10 से 15 दिन का 6 से 8 लांख रूपए की जरुरत पड़ेगी ! मैं बहुत गरीब हु जानता था की ये रकम मेरे लिए बहुत बड़ी है मैं फिर भी उन्हें एस्टीमेट बनाने के लिए कहा डॉ K S अय्यर जी भी बहुत अच्छे थे उन्होंने मुझे कम का एस्टीमेट बनाकर दिया और उसमे भी डॉ स्मिता मिश्रा जी ने काम करवा दिया अब एस्टीमेट 1,76,000/- का हो चूका था मैंने मेडम को धन्यवाद किया और पैसो के इंतजाम में भोपाल आ गया , मैंने आके सीधे अपने बेटे प्रियांशु को डॉ राकेश मिश्रा जी हॉस्पिटल में उनके देख रेख में छोड़कर पैसो के इंतजाम में सभी जगह भटकने लगा ! मेरे पास दिन भी कम थे और रकम भी बड़ी थी क्योंकि ये रकम तो सिर्फ ऑपरेशन का खर्चा था वह रुकना खाना और भी बहुत से चार्ज थे ! मैं पैसो के लिए मुख्यमंत्री जनसुनवाई में गया कलेक्टर सर के यहाँ आलोक संजर जी के यहाँ और भी बहुत से लोगो से मदद मांगी लेकिन कोई आगे नहीं आ रहा था ! तब एक दिन डॉ सर ने मुझसे पूछा की दिल्ली में क्या कहा मैंने उन्हें अपनी सारी दास्ताँ सुनाई और कहा की मैं अगर इतना ही जीवन अपने बेटे को दे सकूँ तो मैं अपने आप को खुसनसीब समझूंगा ! डॉ राकेश मिश्रा जी को मुझसे बहुत सहानुभूति हुई और जैसे वो भगवान बनकर मेरे लिए सामने आ गए अब मुझे और ज्यादा हिम्मत मिल गयी थी, डॉ सर ने खुद कलेक्टर श्री निशांत बरबड़े जी से बात की और मेरी मदद करने को कहा हमारे कलेक्टर जी भी बहुत अच्छे थे उन्होंने सारी संभव मदद  की और मेरे बेटे के इलाज की जवाबदारी ली ! अब मुझे जैसे मेरी मंजिल की तरफ जाने का रास्ता मिल गया था ! डॉ राकेश मिश्रा जी ने डॉ गणेश ठाकुर जी को भी मेरी मदद करने को कहा था और डॉ गणेश ठाकुर जी ने भी मेरी भरपूर मदद की उन्होंने WHATS-UP पर मेरे लिए मेसेज चलाया और उससे मेरी बहुत मदद होने लगी !
सभी की मेहनत के बदौलत दिनाँक 13/01/2015 को मेरे बेटे का पहला ऑपरेशन संभव हुआ ! 

कुछ महीनो तक सब ठीक चलता रहा फिर मैंने कुछ महीनो बाद दूसरे शहरों में इलाज के लिए जाने लगा , क्योंकि सिर्फ मैं जानता था की मेरे और  मेरे बेटे के पास कितना समय है मैंने अपने घर पर यहाँ तक की अपनी पत्नी को भी नहीं बताया था अपनी परेशानी क्योंकि मैं जानता था की मैंने अगर सब सच बता दिया तो सारा परिवार बिखर जायेगा और मैं आगे कुछ नहीं कर पाउँगा !
मैं कुछ महीने काम करता फिर निकल जाता किसी दूसरे शहर अपने बेटे के जीवन की तलाश में , मैं कभी दिल्ली तो कभी बॉम्बे तो कभी पुणे तो कभी रायपुर फिर कभी बेंगलोर , पर शायद मेरी तलाश कही खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी !
धीरे धीरे वक्त बीतता गया और मुझे वापस दूसरे ऑपरेशन के लिए दिल्ली फोर्टिस में बुलाया गया !
मैं अपने बेटे के साथ दिल्ली गया वहा कुछ चेक अप हुए फिर शायद उन्हें कुछ कमजोरी दिखी तो डॉ सुशील आजाद जी ने  मुझे कहा की इसका जल्द ही दूसरा ऑपरेशन करना पड़ेगा !
मैंने उन्हें एस्टीमेट बनाने को कहा ! और एस्टीमेट बनवाकर भोपाल आ गया !
और पुनः उसी संघर्ष में लग गया क्योंकि मुझे पहले ही शासन से मदद मिल चुकी थी अब मिलना मुश्किल था पर नामुमकिन नहीं ! मैंने कोई कसर नहीं छोड़ी और समर्पण एक NGO संस्था के पास अपने बेटे को रजिस्टर्ड किया ! उसके बाद  मैंने फिर डॉ राकेश मिश्रा जी और कलेक्टर सर से मदद मांगी  इन्होने मुझे निराश नहीं होने दिया और जल्द ही मेरी मदद की !
मैं अपने बेटे और अपनी बड़ी बहन को लेके ऑपरेशन के लिए दिल्ली चला गया !
वहा पहले थोड़ी दिक्कत जरूर आयी लेकिन लेकिन बाद में मेरे बेटे को भर्ती कर उसके सारे चेकअप शुरू कर दिए ! अगले दिन सारी रिपोर्ट देखने के बाद फाइनल डिसीजन बनाकर मेरे बेटे को डिस्चार्ज कर दिया गया और मेरे पूछने पर बताया की दिल प्रेसर बहुत ज्यादा है इस कारन ऑपरेशन अभी संभव नहीं हैं , 6 माह बाद आना फिर से चेकअप करेंगे तब तक अगर ठीक होगा तो फिर ऑपरेशन करेंगे ! मैं अपने बेटे को लेकर वापस भोपाल आ गया और सारी रिपोर्ट जाकर डॉ राकेश मिश्रा जी को बताई ! क्योंकि बस वही थे जो मुझे शुरू से समझते और सलाह देते थे , जैसे ही उन्होंने सारी  रिपोर्टे देखि तो वह भी उदास हो गए और बहुत ही सहानुभूति के साथ मुझे देख रहे थे ! मुझे उन्होंने अपने पास बिठाया और समझाया की सागर अब बस कर बेटे क्योंकि तूने बहुत मेहनत कर ली शायद इतना तो कोई भी नहीं करता अभी तक अपन पुरे शहरो में इसको दिखा चुके है और रिपोर्ट में भी यही है की अब इसको जैसा है वैसे ही रहने दे और अपने परिवार की तरफ ध्यान दे क्योंकि अब इसकी बीमारी और बढ़ती जा रही है और मेडिकल साइंस में इसका कोई इलाज नहीं है ! 
ये सुनते ही जैसे मेरे पैरो के निचे से जमीन ही निकल गयी हो ! 
मैं और कर भी क्या सकता था..?
क्योंकि जो अब तक मेरे साथ खड़े थे उन्ही ने मुझसे आज ये कह दिया की Give Up . 
मैं अपने बेटे के साथ अपने घर आ गया और बेटे को घर पर छोड़कर अकेला शांत जगह पर गया जहा कोई मुझे न देख सके ! पहले तो खूब जी भर कर रोया क्योंकि मैं अब टूट गया था ! मैं 2 दिन तक गुमसुम रहने लगा ! फिर एक दिन मैंने फैसला किया की नहीं सागर तू ऐसे हार नहीं मान सकता तुझे कुछ भी करके अपने बेटे के लिए जीवन लाना है ! मैंने इंटरनेट में अपने बेटे के लिए जीवन की तलाश शुरू की रोज हर विदेशो में हर हॉस्पिटल की वेबसाइट पर यूट्यूब में देखने लगा !
4 दिन बाद मेरी तलाश ख़त्म हुई जब मैंने बोस्टन चिल्डर्न हॉस्पिटल का वीडियो देखा जिसमे मेरे दिल ने कहा की यही हॉस्पिटल हे जो तुझे तेरे बेटे का जीवन दिला सकते है. ! 
बस फिर क्या था मेरे जीवन को नई राह मिल चुकी थी और मुझे उम्मीद की नई किरण दिखाई देने लगी !
मैंने बहुत मेहनत करके जैसे तैसे उनका ईमेल ढूंड निकाला और बस लग गया अपना 100% देने में !
अब रोज मेरा एक ही काम रात भर जागकर उन्हें मेल करना फोन करना ! 15 दिनों तक सिर्फ एक ही जवाब की पहले पैसे जमा करने पड़ेंगे मैंने जब फीस पता करि तो वहाँ लाँखो रूपए लग जाते इतने पैसे तो मेरे पास थे भी नहीं लेकिन हाँ विश्वास जरूर था की शायद कभी मेरा ईमेल किसी ऐसे सज्जन के हाथ लगेगा जो मेरी भावना और मेरी मज़बूरी और परेशानियो को समझेगा !
और शायद भगवान ने Mr टॉड जो बोस्टन हॉस्पिटल में हैं उन्हें मेरी मदद के लिए भेज दिया , उन्होंने मुझे समझा मुझसे बात की और मेरे बेटे के इलाज की जवाबदारी ली ! उन्होंने हर संभव प्रयास करे होंगे जो मेरे बेटे को वह रजिस्टर्ड किया सारी रिपोर्टे मंगवाई डॉक्टर से कंसल्ट किया होगा और आखिरकार उन्होंने मेरे बेटे प्रियांशु की रिपोर्टे डॉ पीटरसन ईसली जी के पास पहुँचवा दी और उन्हें मेरी मदद करने को कहा !
डॉ पीटरसन जी ने मेरी बहुत मदद की और बिना फीस के सेकंड ओपेनियन लेटर जिसमे मेरे बेटे का जीवन और मेरे लिए जीवन भर की ख़ुशी थी ग्लोबल डिस्काउंट रेट जो  $ 100557 USD के साथ मुझे भेज दिया है

और आज देखिये अमेरिका और अमेरिकन मेरी और मेरे बेटे की मदद के लिए आगे आये है ! अब मेरे बेटे प्रियांशु को जीवन मिल सकता है , और वो भी अपना पूरा जीवन जी सकता है ! अब मेरे जीवन का यही उद्देश्य है की मेरे बेटे को बोस्टन हॉस्पिटेन का इलाज मिले और वो पूरी तरह से ठीक हो जाए !

आदरणीय और मेरे भाइयो , बहनो और मेरे प्यारे दोस्तों मैं अगर अपने बेटे को उसके इलाज तक अगर पहुंचाने में कामयाब हो गया तो मैं अपने आप को बहुत भाग्यशाली समझूंगा और कभी जिंदगी से कुछ नहीं मागूंगा !

आप सभी जो मेरी ये कहानी पढ़ रहे है अगर कृपया थोड़ी थोड़ी ही मदद करेंगे तो मेरे बेटे को जीवन मिल सकेगा और उसकी जान बच सकती है और वह भी दूसरे बच्चो की तरह हंस खेल सकेगा !
आपके इस महान कार्य के लिए मैं और मेरा बेटा और मेरा पूरा परिवार आपका जीवनभर आभारी रहेगा !

मेरी और मेरे बेटे के जीवन की संघर्ष की कहानी !!

धन्यवाद
सागर मेश्राम
9806135319 

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